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रविवार, 20 सितंबर 2020

सरस्वती वंदना : देवकीनंदन शांत

 माँ शारदे वंदना

देवकीनंदन शांत लखनऊ
*
माँ! माँ!!
माँ! मुझे गुनगुनाने का वर दे
मेरी साँसों में संगीत भर दे
छंद को भाव रसखान का दे
प्रीत को साथ इंसान का दे
मेरी गज़लें मुहब्बत भरी हों
दे मुझे ध्यान भगवान का दे
मुझे इतनी कृपा और कर दे
मेरी साँसों में संगीत भर दे
सत्य बोलूँ-लिखूँ शब्द-स्वर दे
झूठ बोलें न एेसे अधर दे
झूठ कैसा भी हो झूठ ही है
झूठ के पंख सच से कतर दे
हौसले से भरी हो डगर दे
मेरी साँसों में संगीत भर दे
राष्ट्र-हित से जुड़ी भावना दे
विश्व कल्याण की कामना दे
धर्म-मजहब समा जाएँ जिसमें
योग जप-तप पगी साधना दे
जग को सुख शांति आठों पहर दे
मेरी साँसों में संगीत भर दे
'शांत' शब्दों को चिंगारियाँ दे
जग की पीड़ा को अमराइयाँ दे
कल्पना दे गरुड़ पंख जैसी
मेरे अनुभव को गहराइयाँ दे
मुझ पे इतनी कृपा और कर दे
मेरी साँसों में संगीत भर दे
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