षड्पदी नर्मदा
भक्ति-भाव की विमल नर्मदा में अवगाहन कर तर जाएँ. प्रभु ऐसे रीझें, भू पर आ, भक्तों के संग नाचें-गाएँ.. हम आरती उतारें प्रभु की, उनके चरणों पर गिर जाएँ. जय महेश! जय बम-बम भोले, सुन प्रभु हमको कंठ लगाएँ.. स्वप्न देख ले 'सलिल' सुनहरे, पूर्व जन्म के पुण्य भुनाएँ.. प्रभु को मन-मंदिर में पाकर, तन को हँसकर भेंट चढ़ाएँ..
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