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शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

सरस्वती -वंदना अमरनाथ

 सरस्वती -वंदना अमरनाथ लखनऊ (उ प्र,)

(शिव छंद- 11मात्रिक, चरणांत रगण)
-------माता शारदे-------
हे माता शारदे!
मत मुझे बिसार दे।
मैं तेरा पुत्र हूँ
मुझको भी प्यार दे।।
हे माता शारदे!
मुझको आशीष दे
विद्या की सीख दे।
संचारित बुद्धि हो,
विवेक तू सींच दे।
अनगढ़ हूँ मातु! मैं,
हाथ रख, सँवार दे।।
हे माता शारदे!
छाया चीत्कार है।
बस हाहाकार है।
हुआ बुद्धि शून्य मैं ,
घिरा अंधकार है।
कुछ न सुझाई पड़े,
चीर अंधकार दे।
हे माता शारदे!
अज्ञानी मूढ़, मैं।
नासमझ , विमूढ़ मैं।
थक अब, मैं तो चुका,
तुझे ढूँढ -ढूँढ , मैं।
मेरी अज्ञानता,
मातु! अब बुहार दे।
हे माता शारदे!!
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