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रविवार, 27 सितंबर 2020

दोहा

दोहा-
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पुरुष कभी स्वामी लगा, कभी चरण का दास
कभी किया परिहास तो, कभी दिया संत्रास
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चित्र गुप्त जिसका, बनी मूरत कैसे बोल?
यदि जयंती तो मरण दिन, बतला मत कर झोल
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