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सोमवार, 14 सितंबर 2020

राजस्थानी मुक्तिका

राजस्थानी मुक्तिका
संजीव
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नेह नर्मदा तैर भायला
बह जावैगौ बैर भायला

गेलो आपूं आप मलैगौ
मंज़िल की सुन टेर भायला

मुश्किल है हरदा सूं खड़बो
तू आवैगो फेर भायला

घणू कठण है कविता करबो
आकासां की सैर भायला

स्कूल गइल पै यार 'सलिल' तू
चाल मेलतो पैर भायला
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