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मंगलवार, 22 सितंबर 2020

शारद वंदना संजीव

 शारद वंदना

संजीव
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मैया! आशा दीप जला रे….
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हममें तुम हो, तुममें हम हों
अधर हँसें, नैन ना नम हों
पीर अधीर करे जब माता!
धीरज-संबल कभी न कम हों
आपद-विपदा, संकट में माँ!
दे विवेक जो हमें उबारे….
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अहंकार तज सकें ज्ञान का
हो निशांत, उद्गम विहान का.
हम बेपर पर दिए तुम्हीं ने
साहस दो हँस नव विहान का
सत-शिव-सुंदर राह दिखाकर
सत-चित-आनंद दर्श दिखा रे ….
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शब्द ब्रम्ह आराध्य हमारा
अक्षर, क्षर का बना सहारा.
चित्र गुप्त है जो अविनाशी
उसने हो साकार निहारा.
गुप्त चित्र तव अगम, गम्य हो
हो प्रतीत जो जन्म सँवारे ….
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