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रविवार, 20 सितंबर 2020

सरस्वती वन्दना : अवधी - डॉ. कैलाश नाथ मिश्र

 डॉ.कैलाशनाथ मिश्र

माता - स्व. तुलसी देवी

पिता - स्व.यज्ञनारायण मिश्र
पत्नी - स्व.गीता देवी
स्थान - फतनपुर
जन्ततिथि - 30 अक्टूबर 1954
शिक्षा - चिकित्सा स्नातक
छन्दकार - विभिन्न छन्दों में रचनाएँ
कई साझा सङ्कलनों ( *विहग प्रीति के* , *अधूरा मुक्तक* ) व *पत्रिकाओं* में रचनाएँ प्रकाशित हैं ।
विभिन्न ई समूहों से अनेकों सम्मान प्राप्त यथा *अधूरा मुक्तक से* *मुक्तक सम्राट* , *काव्य गौरव , दोहा सम्राट* आदि । *नवोदित साहित्य कार मञ्च से साहित्य सृजक*, *कविता लोक से कविता लोक भारती* , *काव्य गंगोत्री सारस्वत सम्मान* , *काव्य रत्न* , *काव्य श्री*, *छन्द शिल्पी*, *कवितालोक आदित्य*, *गीतिकादित्य* । *मुक्तक लोक से गीतिका श्री* , *मुक्तक लोक भूषण* , *मुक्तकलोक श्रेयस*, *चित्र मंथन सृजन सम्मान* व *युवा उत्कर्ष साहित्यिक मञ्च ( न्यास ) द्वारा श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान व और भी कई सम्मानों से सम्मानित* ।
पता - निवास फतनपुर, पोस्ट आफिस - गौरा (आर.एस.) जनपद. प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल नं. 9452702797
मेल dr.knnishra1789@gmail.com
*सरस्वती वन्दना* *अवधी हिंदी*
सूरसती मैया मोरी सुनिल्या पुकार तू ।
तो'हरी शरण में आये कइल्या स्वी'कार तू ।
चित में विकार भरा जिउ घबरात बा ,
दिन अरु रात मन दुख उधिरात बा ,
चैन नाहीं छिन भर हो'इजा मददगार तू।
तो'हरी शरण में आये कइल्या स्वी'कार तू ।
जन-जन में रोष बढ़ा झगड़ा लड़ाई,
प्रेम क बिसार दै द्या फसल उगाई ,
आगे बढ़े देश आपन कै द्या उपचार तू ।
तोहरी शरण में आये कइल्या स्वीकार तू ।
दुनिया में ताप बढ़ा ग्ले'शियर गलावै ,
बहुतै प्रयोग परदूषणइ बढ़ावै ।
जुगुत नयी खोजि लेतियु कइके दिदार तू ।
तोहरी शरण में आये कइल्या स्वीकार तू ।
लेखनी में जोश भरा रचना बनाई ,
ज्ञान क प्रचार चहुँ दिशा में कराई,
भारत के शीश देतियु मुकट सँवार तू।
तोहरी शरण में आये कइल्या स्वीकार तू ।।
डॉ.कैलाशनाथ मिश्र

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