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सोमवार, 21 सितंबर 2020

त्रिपदिक (हाइकु) गीत बात बेबात

त्रिपदिक (हाइकु) गीत    

बात बेबात 

संजीव 'सलिल'

*

बात बेबात 

कहते कटी रात 

हुआ प्रभात। 

*

सूर्य रश्मियाँ 

अलस सवेरे आ

नर्तित हुईं। 

*

हो गया कक्ष

आलोकित ज्यों तुम  

प्रगट हुईं। 

*

कुसुम कली

परिमल बिखेरे 

दस दिशा में -

*

मन अवाक  

सृष्टि  मोहती 

छबीली मुई। 

*

परदा हटा 

बज उठी पायल

यादों की बारात। 

*

दे पकौड़ियाँ 

आँखें, आँखों में झाँक

कुछ शर्माईं ?

*

गाल गुलाबी

अकहा सुनकर  

आप लजाईं। 

*

अघट घटा

अखबार नीरस 

लगने लगा- 

*

हौले से लिया    

हथेली को पकड़  

छुड़ा मुस्काईं। 

*

चितवन में  

बही नेह नर्मदा 

सिहरा गात 

*

चहक रही

गौरैया मुंडेर पर 

कुछ गा रही। 

फुदक रही 

चंचल गिलहरी  

मन भा रही। 

*

झोंका हवा का

उड़ा रहा आँचल 

नाचतीं लटें-

*

खनकी चूड़ी  

हाथ न आ, ललचा 

इठला रही। 

*

फ़िज़ा महकी 

घटा घिटी-बरसी 

गुँजा नग़मात 

*

 

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