नवान्वेषित सवैया:
गणसूत्र : स भ भ म र य र ल ग।
पद भार : ११२-२११-२११-२२२-२१२-१२२-२१२-१-२।
*
सुधियों की दहरी पर, यादों के दीप बाल, दीवाली मना रहा
कलियों से अँजुरी भर, वेणी से गूँथ बाल, दीवानी बना रहा
अँखियों ने सखियों सँग, की मस्ती छेड़-छाड़, दोगाना कहा-सुना
अधरों ने अधरों पर, नातों के चिन्ह छाप, ना को हाँ बना लिया
***
नवान्वेषित सवैया:
गणसूत्र : म त य भ भ म य ।
पद भार : २२२-२२१-१२२-२११-२११-२२२-१२२।
*
ना पानी हो व्यर्थ बचा यारों! अब कूप-नदी में डालना है
लूटा था तो जीवन देना है, शुक-कोयल को भी पालना है
बूढ़ों से ही है घर की शोभा, फलती बस सेवा भावना है
जाओ तो ना कर्ज रहे बाकी, कुछ शेष न देना पावना है
*
संजीव
१२-७-२०१९
गणसूत्र : स भ भ म र य र ल ग।
पद भार : ११२-२११-२११-२२२-२१२-१२२-२१२-१-२।
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सुधियों की दहरी पर, यादों के दीप बाल, दीवाली मना रहा
कलियों से अँजुरी भर, वेणी से गूँथ बाल, दीवानी बना रहा
अँखियों ने सखियों सँग, की मस्ती छेड़-छाड़, दोगाना कहा-सुना
अधरों ने अधरों पर, नातों के चिन्ह छाप, ना को हाँ बना लिया
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नवान्वेषित सवैया:
गणसूत्र : म त य भ भ म य ।
पद भार : २२२-२२१-१२२-२११-२११-२२२-१२२।
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ना पानी हो व्यर्थ बचा यारों! अब कूप-नदी में डालना है
लूटा था तो जीवन देना है, शुक-कोयल को भी पालना है
बूढ़ों से ही है घर की शोभा, फलती बस सेवा भावना है
जाओ तो ना कर्ज रहे बाकी, कुछ शेष न देना पावना है
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संजीव
१२-७-२०१९
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