ॐ
छंद सलिला:
दुर्मिला छंद
संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति लाक्षणिक, प्रति चरण मात्रा ३२ मात्रा, यति १०-८-१४, पदांत गुरु गुरु, चौकल में लघु गुरु लघु (पयोधर या जगण) वर्जित।
छंद सलिला:
दुर्मिला छंद
संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति लाक्षणिक, प्रति चरण मात्रा ३२ मात्रा, यति १०-८-१४, पदांत गुरु गुरु, चौकल में लघु गुरु लघु (पयोधर या जगण) वर्जित।
लक्षण छंद:
दिशा योग विद्या / पर यति हो, पद / आखिर हरदम दो गुरु हों
छंद दुर्मिला रच / कवि खुश हो, पर / जगण चौकलों में हों
(संकेत: दिशा = १०, योग = ८, विद्या = १४)
उदाहरण:
१. बहुत रहे हम, अब / न रहेंगे दू/र मिलाओ हाथ मिलो भी
बगिया में हो धू/ल - शूल कुछ फू/ल सरीखे साथ खिलो भी
कितनी भी आफत / आये पर भू/ल नहीं डट रहो हिलो भी
जिसको जो कहना / है कह ले, मुँह / मत खोलो अधर सिलो भी
दिशा योग विद्या / पर यति हो, पद / आखिर हरदम दो गुरु हों
छंद दुर्मिला रच / कवि खुश हो, पर / जगण चौकलों में हों
(संकेत: दिशा = १०, योग = ८, विद्या = १४)
उदाहरण:
१. बहुत रहे हम, अब / न रहेंगे दू/र मिलाओ हाथ मिलो भी
बगिया में हो धू/ल - शूल कुछ फू/ल सरीखे साथ खिलो भी
कितनी भी आफत / आये पर भू/ल नहीं डट रहो हिलो भी
जिसको जो कहना / है कह ले, मुँह / मत खोलो अधर सिलो भी
२. समय कह रहा है / चेतो अनुशा/सित होकर देश बचाओ
सुविधा-छूट-लूट / का पथ तज कद/म कड़े कुछ आज उठाओ
घपलों-घोटालों / ने किया कबा/ड़ा जन-विश्वास डिगाया
कमजोरी जीतो / न पड़ोसी आँ/ख दिखाये- धाक जमाओ
सुविधा-छूट-लूट / का पथ तज कद/म कड़े कुछ आज उठाओ
घपलों-घोटालों / ने किया कबा/ड़ा जन-विश्वास डिगाया
कमजोरी जीतो / न पड़ोसी आँ/ख दिखाये- धाक जमाओ
३. आसमान पर भा/व आम जनता/ का जीवन कठिन हो रहा
त्राहिमाम सब ओ/र सँभल शासन, / जनता का धैर्य खो रहा
पूंजीपतियों! धन / लिप्सा तज भा/व् घटा जन को राहत दो
पेट भर सके मे/हनतकश भी, र/हे न भूखा, स्वप्न बो रहा
----------
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामिनीमोहन, काव्य, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिभंगी, त्रिलोकी, दण्डकला, दिक्पाल, दीप, दीपकी, दोधक, दुर्मिला, दृढ़पद, नित, निधि, निश्चल, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदन,मदनावतारी, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, मृदुगति, योग, ऋद्धि, रसामृत, रसाल, राजीव, राधिका, रामा, रूपमाला, लीला, वस्तुवदनक, वाणी, विरहणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुद्ध ध्वनि, शुभगति, शोभन, समान, सरस, सवाई, सार, सारस, सिद्धि, सिंहिका, सुखदा, सुगति, सुजान, सुमित्र, संपदा, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)
chhand salila: durmila chhand -sanjiv
chhand, durmila chhand, acharya sanjiv verma 'salil',
त्राहिमाम सब ओ/र सँभल शासन, / जनता का धैर्य खो रहा
पूंजीपतियों! धन / लिप्सा तज भा/व् घटा जन को राहत दो
पेट भर सके मे/हनतकश भी, र/हे न भूखा, स्वप्न बो रहा
----------
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामिनीमोहन, काव्य, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिभंगी, त्रिलोकी, दण्डकला, दिक्पाल, दीप, दीपकी, दोधक, दुर्मिला, दृढ़पद, नित, निधि, निश्चल, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदन,मदनावतारी, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, मृदुगति, योग, ऋद्धि, रसामृत, रसाल, राजीव, राधिका, रामा, रूपमाला, लीला, वस्तुवदनक, वाणी, विरहणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुद्ध ध्वनि, शुभगति, शोभन, समान, सरस, सवाई, सार, सारस, सिद्धि, सिंहिका, सुखदा, सुगति, सुजान, सुमित्र, संपदा, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)
chhand salila: durmila chhand -sanjiv
chhand, durmila chhand, acharya sanjiv verma 'salil',
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें