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शुक्रवार, 12 मार्च 2021

अमृत महोत्सव गीत १०

अमृत महोत्सव गीत १०
मुक्ति गान गूँजा माँ!
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'  
*
दो पग जब बढ़ चले 
देश नया गढ़ चले 
कोटि-कोटि जन जुड़े 
संकट जय कर चले 
चित्र भव्य मढ़ चले 
पग पखार पूजा माँ!
मुक्ति गान गूँजा माँ!
*
रक्त तिलक माथ पे 
शीश धरे हाथ में 
विप्लव के पंथ पे 
कली-फूल साथ थे 
खुद अपने नाथ थे 
जनगण मिल जूझा माँ!
मुक्ति गान गूँजा माँ!
*
लोक शक्ति जग गई 
देश भक्ति पग गई 
सत्याग्रह संग आ 
हिंद फ़ौज जुड़ गई 
जय गाथा लिख गई 
शौर्य सूर्य ऊगा माँ!
मुक्ति गान गूँजा माँ!
*
देश बँटा; शोक था 
संकल्पित लोक था 
भुज भेंटे; मिल गले 
कौन सका रोक था 
दस दिश आलोक था
साम्य नहीं दूजा माँ!
मुक्ति गान गूँजा माँ!
*
सर्वोदय पथ मिला 
अंत्योदय रथ चला
कर दी संपूर्ण क्रांति 
जीता हर एक किला 
बना सोनार बांग्ला
हर सवाल बूझा माँ!
मुक्ति गान गूँजा माँ!
*
पचहत्तर पुष्पहार 
लाए माँ कर सिंगार 
कोटि-कोटि संतानें 
तुझ पर होतीं निसार 
कण कण पर हो निखार 
पूजे जग समूचा माँ!
मुक्ति गान गूँजा माँ!
*
जग गुरु महिमामयी 
मैया ममतामयी
गोदी में प्रभु खेलें 
अद्भुत क्षमतामयी 
मैया करुणामयी 
सर हरदम ऊँचा माँ!
मुक्ति गान गूँजा माँ!
*
शशि मंगल सूर्य नाप 
स्वच्छ बना देश आप 
ताकतवर सेनाएँ 
भीत शत्रु रहा काँप 
दस दिश यश रहा व्याप 
विनत चरण पूजा माँ!
मुक्ति गान गूँजा माँ!
*

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