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गुरुवार, 11 मार्च 2021

शिव भजन ३, शांति देवी वर्मा

पूज्य मातुश्री द्वारा रचित शिव भजन ३ 
मोहक छटा पारवती-शिव की 
स्व. शांति देवी वर्मा
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मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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ऊँचो तेरहो-मेढ़ो कैलाश परवत, बीच मां बहे गंग धार।
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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शीश पे उमा के मुकुट सुहावे, भोले के जूट-रुद्राक्ष।
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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माथे पे गौरी के सिंदूर बिंदिया, शंकर के भस्मी राख।
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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सती के कानों में हीरक कुंडल, त्रिपुरारी के बिच्छू कान।
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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कंठ शिवा के नौलख हरवा, नीलकंठ के नाग।
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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हाथ अपर्णा के मुक्तक कंगन,  डमरू साथ। 
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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कुँवरि बदन केसर-कस्तूरी, महादेव तन राख।
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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पहने भवानी नौ रंग चूनर, भोले बाघ की खाल। 
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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दुर्गा रचतीं सकल सृष्टि को, महानाशक महाकाल।
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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भुवन मोहनी महामाया हैं, औघड़दानी हैं नाथ ।
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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'शांति' सार्थक जन्म दरस पा, सदय शिवा-शिव साथ। 
मोहक छटा पारवती-शिव की,
देखन आओ चलें कैलाश.....
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