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रविवार, 21 मार्च 2021

होली सलिला




अबकी फागुन में शरारत ये मेरे साथ हुई
मोदी-ममता की लगावट, हुई खटास मुई
युद्ध बंगाल का कुरुक्षेत्र से संगीन अधिक
तीर-तलवार चला कह रहे, चुभा न सुई
रंगे हाथों न पकड़ जाएँ, कभी इस खातिर
दिल की रंगीनियों ने, दिमागी ज़मीं न छुई
*
मुक्तिका 
होली मने 
*
भावना बच पाए तो होली मने
भाव ना बढ़ पाएँ तो होली मने
*
काम ना मिल सके तो त्यौहार क्या
कामना हो पूर्ण तो होली मने
*
साधना की सिद्धि ही होली सखे!
साध ना पाए तो क्या होली मने?
*
वासना से दूर हो होली सदा
वास ना हो दूर तो होली मने
*
झाड़ ना काटो-जलाओ अब कभी
झाड़ना विद्वेष तो होली मने
*
लालना बृज का मिले तो मन खिले
लाल ना भटके तभी होली मने
*
साज ना छोड़े बजाना मन कभी
साजना हो साथ तो होली मने
***   

होली सलिला
होरी के जे हुरहुरे
संजीव 'सलिल'
*
होरी के जे हुरहुरे, लिये स्नेह-सौगात
कौनऊ सुन मुसक्या रहे, कौनऊ दिल सहलात
कौनऊ दिल सहलात, किन्हऊ खों चढ़ि गओ पारा,
जिन खों पारा चढ़े, होय उनखों मूं कारा
कि बोलो सा रा रा रा
*
मुठिया भरे गुलाल से, लै पिचकारी रंग।
शारद ब्रह्मा को रंगें, देखे सब जग दंग।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
*  
काली जी पर कोई भी, चढ़ा न पाया रंग।
हुए लाल-पीले तुनक, शिव जी पीकर भंग।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
*  
मुठिया भरे गुलाल से, लै पिचकारी रंग।
शारद गणपति को रंगें, रिद्धि-सिद्धि है दंग।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
*  
भांग भवानी से भरे, सूँढ गजानन मौन।
पिएँ गटागट रोक दे, कहिए कैसे कौन।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
गुप्त चित्र पर डलेगा, कैसे कहिए रंग।
चित्रगुप्त की चतुरता, देखें देव अनंग।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
*  
सिय बिन मूरत राम की, लगे अवध में आज।
होली कैसे मनाएँ, कहिए योगिराज।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
*  
गो-गो कहते मातु से, राधा से 'कम सून'
लख महेश गोविन्द को, नचे शीश धर नून
कि बोलो सा रा रा रा 
*  
मंजु विजय की चाह ले, करें शुक्ल को श्याम 
विद्या शंकर भज उमा, भांग पिएँ अविराम 
कि बोलो सा रा रा रा
कोट पैंट भौजी पहिन, चली सुनाने फाग  
चुप नरेंद्र भूषण सजा, नाचें धरकर स्वांग 
कि बोलो सा रा रा रा
*
कविता पिचकारी लए, नारायन कुलदीप
फाग बाल्टी उड़ेलें, भउजी लै रंग डीप
कि बोलो सा रा रा रा
*
घनाक्षरी
*
नैन पिचकारी तान-तान बान मार रही, देख पिचकारी ​मोहे ​बरजो न राधिका
​आस-प्यास रास की न फागुन में पूरी हो तो, मुँह ही न फेर ले साँसों की साधिका
गोरी-गोरी देह लाल-लाल हो गुलाल सी, बाँवरे से ​साँवरे की कामना भी बाँवरी-
बैन​ से मना करे, सैन से हाँ हाँ कहे, नायक के आस-पास घूम-घूम नायिका ​
*
होली पर चढ़ाए भाँग, लबों से चुआए पान, झूम-झूम लूट रहे फाग गा मुशायरा
शायरी हसीन करें, तालियाँ बटोर चलें, हाय-हाय करती जलें-भुनेंगी शायरा
रंग गोविंद को, भंग कुलदीप को, भांग लै नरेंद्र संग सलिल हुआ है बावरा
कत्ल मुस्कान करे, कैंची सी जुबान चले, माइक से यारी, प्यारा लगे जैसे मायरा
*
कहमुकरी 
बात कहे फिर झट नट जाए 
चाहे सब जनता पट जाए   
तू-तू मैं-मैं कर हो जेता 
क्या सखि दरुआ? 
ना सखि नेता 
*
कविता कर-कह हर मन मोहे 
कवि वरिष्ठ  संग हरदम सोहे 
शब्द वीर नित बाण चलाए 
 

फाग-नवगीत
संजीव
.
राधे! आओ, कान्हा टेरें
लगा रहे पग-फेरे,
राधे! आओ कान्हा टेरें
.
मंद-मंद मुस्कायें सखियाँ
मंद-मंद मुस्कायें
मंद-मंद मुस्कायें,
राधे बाँकें नैन तरेरें
.
गूझा खांय, दिखायें ठेंगा,
गूझा खांय दिखायें
गूझा खांय दिखायें,
सब मिल रास रचायें घेरें
.
विजया घोल पिलायें छिप-छिप
विजया घोल पिलायें
विजया घोल पिलायें,
छिप-छिप खिला भंग के पेड़े
.
मलें अबीर कन्हैया चाहें
मलें अबीर कन्हैया
मलें अबीर कन्हैया चाहें
राधे रंग बिखेरें
ऊँच-नीच गए भूल सबै जन
ऊँच-नीच गए भूल
ऊँच-नीच गए भूल
गले मिल नचें जमुन माँ तीरे
***
दोहा पिचकारी लिये
संजीव 'सलिल'
*
दोहा पिचकारी लिये,फेंक रहा है रंग.
बरजोरी कुंडलि करे, रोला कहे अभंग..
*
नैन मटक्का कर रहा, हाइकु होरी संग.
फागें ढोलक पीटती, झांझ-मंजीरा तंग..
*
नैन झुके, धड़कन बढ़ी, हुआ रंग बदरंग.
पनघट के गालों चढ़ा, खलिहानों का रंग..
*
चौपालों पर बह रही, प्रीत-प्यार की गंग.
सद्भावों की नर्मदा, बजा रही है चंग..
*
गले ईद से मिल रही, होली-पुलकित अंग.
क्रिसमस-दीवाली हुलस, नर्तित हैं निस्संग..
*
गुझिया मुँह मीठा करे, खाता जाये मलंग.
दाँत न खट्टे कर- कहे, दहीबड़े से भंग..
*
मटक-मटक मटका हुआ, जीवित हास्य प्रसंग.
मुग्ध, सुराही को तके, तन-मन हुए तुरंग..
*
बेलन से बोला पटा, लग रोटी के अंग.
आज लाज तज एक हैं, दोनों नंग-अनंग..
*
फुँकनी को छेड़े तवा, 'तू लग रही सुरंग'.
फुँकनी बोली: 'हाय रे! करिया लगे भुजंग'..
*
मादल-टिमकी में छिड़ी, महुआ पीने जंग.
'और-और' दोनों करें, एक-दूजे से मंग..
*
हाला-प्याला यों लगे, ज्यों तलवार-निहंग.
भावों के आवेश में, उड़ते गगन विहंग..
*
खटिया से नैना मिला, भरता माँग पलंग.
उसने बरजा तो कहे:, 'यही प्रीत का ढंग'..
*
भंग भवानी की कृपा, मच्छर हुआ मतंग.
पैर न धरती पर पड़ें, बेपर उड़े पतंग..
*
रंग पर चढ़ा अबीर या, है अबीर पर रंग.
बूझ न कोई पा रहा, सारी दुनिया दंग..
*
मतंग=हाथी, विहंग = पक्षी
*
दोहा की होली
*
दीवाली में दीप हो, होली रंग-गुलाल
दोहा है बहुरूपिया, शब्दों की जयमाल
*
जड़ को हँस चेतन करे, चेतन को संजीव
जिसको दोहा रंग दे, वह न रहे निर्जीव
*
दोहा की महिमा बड़ी, कीर्ति निरुपमा जान
दोहा कांतावत लगे, होली पर रसखान
*
प्रथम चरण होली जले, दूजे पूजें लोग
रँग-गुलाल है तीसरा, चौथा गुझिया-भोग
*
दोहा होली खेलता, ले पिचकारी शिल्प
बरसाता रस-रंग हँस, साक्षी है युग-कल्प
*
दोहा गुझिया, पपडिया, रास कबीरा फाग
दोहा ढोलक-मँजीरा, यारों का अनुराग
*
दोहा रच-गा, झूम सुन, होला-होली धन्य
दोहा सम दूजा नहीं. यह है छंद अनन्य
२-३-२०१८
***


होली सलिला
होरी के जे हुरहुरे
संजीव 'सलिल'
*
होरी के जे हुरहुरे, लिये स्नेह-सौगात
कौनऊ पढ़ मुसक्या रहे, कौनऊ दिल सहलात
कौनऊ दिल सहलात, किन्हऊ खों चढ़ि गओ पारा,
जिन खों पारा चढ़े, होय उनखों मूं कारा
*
मुठिया भरे गुलाल से, लै पिचकारी रंग
कृष्णकांत जी को मलें, चंद्रा जी कर जंग
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
हरी हुई तबियत चढ़ी, भंग भवानी शीश
गृहणी ने जी भर रँगा, लगें सुरेश कपीश
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
हिलसा खा ठंडाई पी, करें घोष जयघोष
होरी गातीं इला जी, लुटा रंग का कोष
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
गयी कहानी गोंदिया, कही कहानी डूब
राजलक्ष्मी ले उड़े, राम कहानी खूब
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
जयप्रकाश जी झूमकर, रचा रहे हैं स्वाँग
गृह स्वामिन खिल खिल हँसे, भजियों में दे भाँग
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
जबलपुर भोपाल बिच, रहे कबड्डी खेल
तू तू तू तू कर रहे, तन्मय हुए सुरेश
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
मुग्ध मंजरी देखकर, भूले काम बसंत
मधु हाथों मधु पानकर, पवन बन रहे संत
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
कोक भरी पिचकारियों, से मारें हँस धार
छाया पियें मनीष जी, भीग भई भुन्सार
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
झूमें सँग अविनाश के, रचना गाकर फाग
पहन विनीता घूमतीं, फूल-धतूरा पाग
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
शोभित की महिमा अजब, मो सें बरनि न जाय
भांग भवानी हाथ ले, नेहा से बतियांय
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
बिरह-ब्यथा मिथलेस की, बिनसे सही न जाय
तजी नौकरी घर घुसे, हीरा धुनी रमांय
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
पीले-पीले हो रहे, जयप्रकाश पी आज।
श्याम घटा में चाँदनी, जैसे जाए डूब।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
गूझों का आनंद लें, लुक-छिप धरकर स्वांग।
पुरुषोत्तम; मीना न दें , अडा रही हैं टाँग।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
लाल गाल अखिलेश के हुए, नींद में मस्त।
सेव-पपडिया खा हुईं, मुदित विनीता पस्त।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
१३-३-२०२०
*
मधुरा गीता की विभा, सरला ले मन मोह
भांग भवानी शिवानी, अनीता पी लें टोह
पूनम रश्मि लुभा रही, सलिल-धार में झाँक
पद्मा निशि आलोक में, रही शरारत आँक
सदानंद सेठी लिए, रंग मचाते धूम
छिप सुरेंद्र गुझिया लिए, भागी पाखी घूम
अंजू अंजुरी में भरे, आई लाल गुलाल
गरिमा पिचकारी चला, दौड़ी करे धमाल
वारदात सबने छिपा, गाई जमकर फाग
ठंडाई पी कबीरा, सुनें-सुना कर स्वांग
***

मुठिया भरे गुलाल से, लै पिचकारी रंग।
रंग भ्रमर खों मूं-मले, कमल करि रह्यो दंग।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
सुमिरों मैं परताप खों, मानो मम परताप।
फागुन-भरमायो शिशिर, आग रह्यो है ताप।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
गायें संग महेस के, किरण-नीरजा फाग।
प्रणव-दीप्ति-आतिश जुरे, फूल-धतूरा पाग।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
भूटानी-छबि बनी है, नेपाली सी आज।
भंग पिलातीं इंदिरा, कुसुम-किन्शुकी ताज।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
महिमा की महिमा 'सलिल', मो सें बरनि न जाय।
तज दीन्यो संतोष- पी, भंग गजब इठलाय ।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
नभ का रंग परकास के, चेहरे-छाया खूब।
श्यामल घन घनश्याम में, जैसे जाए डूब।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
गूझों का आनंद लें, लुक-छिप पाठक भाग।
ओम व्योम से झाँककर, माँग रहे हैं भाग।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
काट लिए वनकोटि फिर, चाहें पुष्प पलाश।
ममता औ समता बिना, फगुआ हुआ हताश।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
२१-३-२०१३

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