हाइकु गजल:
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
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आया वसंत / इन्द्रधनुषी हुए / दिशा-दिगंत..
शोभा अनंत / हुए मोहित, सुर / मानव संत..
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प्रीत के गीत / गुनगुनाती धूप / बना लो मीत.
जलाते दिए / एक-दूजे के लिए / कामिनी-कंत..
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पीताभी पर्ण / संभावित जननी / जैसे विवर्ण..
हो हरियाली / मिलेगी खुशहाली / होगे श्रीमंत..
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चूमता कली / मधुकर गुंजा / लजाती लली..
सूरज हु/उषा पर निसार/लाली अनंत..
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प्रीत की रीत / जानकार न जाने / नीत-अनीत.
क्यों कन्यादान? / 'सलिल'वरदान / दें एकदंत..
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