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गुरुवार, 11 मार्च 2021

गीत

गीत
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समय न उगता खेत में
समय न बिके बजार
कद्र न जिनको समय की
वही हुए लाचार
नाथ समय के नमन लें
दें मुझको वरदान
असमय करूँ न काम मैं
बनूँ नहीं अनजान
खाली हाथ न फिरे जो
याचक आए द्वार
सीमित घड़ियाँ करी हैं
हर प्राणी के नाम
उसने जो सकता बना
सबके बिगड़े काम
सौ सुनार पर रहा है
भारी एक लुहार
श्वास खेत में बोइए
कर्म फसल बिन देर
ईश्वर के दरबार में
हो न कभी अंधेर
सौदा करिए नगद पर
रखिए नहीं उधार
***
संजीव
११-३-२०२०
९४२५१८३२४४

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