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रविवार, 28 मार्च 2021

मुक्तक

मुक्तक
शशि त्यागी है सदा से, करे चाँदनी दान
हरी हलाहल की तपिश, शिव चढ़ पाया मान
सुंदरता पर्याय बन, कवियों से पा प्रेम
सलिल धार में छवि लखे, माँगे जग की क्षेम
२७-३-२०२०

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