संजीव 'सलिल'
*
होरी के जे हुरहुरे, लिये स्नेह-सौगात
कौनऊ पढ़ मुसक्या रहे, कौनऊ दिल सहलात
कौनऊ दिल सहलात, किन्हऊ खों चढ़ि गओ पारा,
जिन खों पारा चढ़े, होय उनखों मूं कारा
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मुठिया भरे गुलाल से, लै पिचकारी रंग
कृष्णकांत जी को मलें, चंद्रा जी कर जंग
कि बोलो सा रा रा रा.....
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हरी हुई तबियत चढ़ी, भंग भवानी शीश
गृहणी ने जी भर रँगा, लगें सुरेश हरीश
कि बोलो सा रा रा रा.....
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हिलसा खा ठंडाई पी, करें घोष जयघोष
होरी गातीं इला जी, लुटा रंग का कोष
कि बोलो सा रा रा रा.....
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गयी कहानी गोंदिया, कही कहानी डूब
राजलक्ष्मी ले उड़े, राम कहानी खूब
कि बोलो सा रा रा रा.....
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जयप्रकाश जी झूमकर, रचा रहे हैं स्वाँग
गृह स्वामिन खिल खिल हँसे, भजियों में दे भाँग
कि बोलो सा रा रा रा.....
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जबलपुर भोपाल बिच, रहे कबड्डी खेल
तू तू तू तू कर रहे, तन्मय हुए सुरेश
कि बोलो सा रा रा रा.....
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मुग्ध मंजरी देखकर, भूले काम बसंत
मधु हाथों मधु पानकर, पवन बन रहे संत
कि बोलो सा रा रा रा.....
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बिस्तर पर संतोष जी, पसरीं लिए बुखार
गुझिया खाएँ छिपाकर, कहती आई डकार
कि बोलो सा रा रा रा
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भजन सुना सरला हुईं, भक्ति-भाव में लीन
वर्मा जी छिप भोग खा, बजा रहे हैं बीन
कि बोलो सा रा रा रा
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निरुपमा खिलखिलाहट हँसे, वर्मा जी खिसयांय
भोर जगे जब माँग को, लाल भरा वे पांच
कि बोलो सा रा रा रा
*
खोज रहे हैं विभा को, लेकर लाल गुलाल
खोज न पाते तिवारी, सखियों बीच मलाल
कि बोलो सा रा रा रा
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नचा रहीं आलोक को, आलोकिन ले ढोल
बच्चे ताली पीटते, पिला रहे भंग घोल
कि बोलो सा रा रा रा
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सदानंद हर द्वार हो, सदानंद की टेर
कवीश्वरी दाढ़ी रँगें, बिना किए कुछ देर
कि बोलो सा रा रा रा
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खर बंदा कह रही हैं, हँस अशोक को आज
भाँग चढ़ाए अंजु हँस, पहन लघुकथा ताज
कि बोलो सा रा रा रा
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कहें अनीता सुनीता, लगा ठहाका नाम
भाँग चढ़ाकर पुनीता, कहें छाँह को घाम
कि बोलो सा रा रा रा
*
मनो रमा नित नैट पर, उड़ा रही हैं जैट
मनोरमा ले प्रश्न गन, देती हँस अपसेट
कि बोलो सा रा रा रा
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थाम कर छुरी करचुरी, सुषमा जी धमकांय
वीना ठेंगा दिखातीं, सिंह सियार बन जांय
कि बोलो सा रा रा रा
*
अर र र चना न खाइए, कहें अर्चना झूम
'गो स्वामी' सुन दंग हैं, गोस्वामी जी घूम
कि बोलो सा रा रा रा
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अरुण चले अरुणाई संग, करने मार्निंग वाक
धूल धूसरित हो गए, गरम हुई जब टाकीज
कि बोलो सा रा रा रा
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कोक भरी पिचकारियों, से मारें हँस धार
छाया तले मनीष जी, भीग भई भुन्सार
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
झूमें सँग अविनाश के, रचना गाकर फाग
पहन विनीता घूमतीं, फूल-धतूरा पाग
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
शोभित की महिमा अजब, मो सें बरनि न जाय
भांग भवानी हाथ ले, नेहा से बतियांय
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
बिरह-ब्यथा मिथलेस की, बिनसे सही न जाय
तजी नौकरी घर घुसे, हीरा धुनी रमांय
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
हुए लाल-पीले विहँँस, जयप्रकाश पी आज।
जिसने किया कमाल उस, भौजाई पर नाज।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
गूझों का आनंद लें, लुक-छिप धरकर स्वांग।
पुरुषोत्तम; मीना न दें , अडा रही हैं टाँग।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
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लाल गाल अखिलेश के हुए, नींद में मस्त।
सेव-पपडिया खा हुईं, मुदित विनीता पस्त।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
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कोक भरी पिचकारियों, से मारें हँस धार
छाया तले मनीष जी, भीग भई भुन्सार
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
झूमें सँग अविनाश के, रचना गाकर फाग
पहन विनीता घूमतीं, फूल-धतूरा पाग
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
शोभित की महिमा अजब, मो सें बरनि न जाय
भांग भवानी हाथ ले, नेहा से बतियांय
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
बिरह-ब्यथा मिथलेस की, बिनसे सही न जाय
तजी नौकरी घर घुसे, हीरा धुनी रमांय
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
हुए लाल-पीले विहँँस, जयप्रकाश पी आज।
जिसने किया कमाल उस, भौजाई पर नाज।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
*
गूझों का आनंद लें, लुक-छिप धरकर स्वांग।
पुरुषोत्तम; मीना न दें , अडा रही हैं टाँग।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
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लाल गाल अखिलेश के हुए, नींद में मस्त।
सेव-पपडिया खा हुईं, मुदित विनीता पस्त।।
कि बोलो सा रा रा रा.....
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