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गुरुवार, 19 नवंबर 2020

सामायिक दोहे

 दोहा सलिला 

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आदम से करके घृणा, पूजें वेद-कुरान 
नादां समझो हक़ीक़त, लिखें इन्हें इंसान 
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दुलराओ हँस प्यार से, झुर्रीवाले हाथ 
जिसने जन्म दिया विहँस, चूमो उसका माथ 
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पिंजरे में कैसे भरे, पंछी कहो उड़ान
पंखों को परवाज़ दो, कतरो मत नादान  
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सड़कें हैं आबाद हम, भूल गए दहलीज
घर सन्नाटा बुन रहे, चिथड़े प्यार-कमीज 
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मदद करो दिल से कहे, पैना खंज़र चीख 
कहे खबरची हर जगह, अमन रहा है दीख 
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आँखें मूँदो दिख रहे, तारे दिन में यार 
देश सो रहा चैन से, चीख रही सरकार 
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उफनाई जब से नदी, तिनकों को तैराक 
बता रहे अखबार में, मंत्रीजी बेबाक 
लोहू ओढ़े बर्फ की, चादर बेबस मौन 
गाल बजा नेता रहे, मकसद पूछे कौन?
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सत्य न होते नींद में, देखे ख्वाब हुजूर 
नींद उड़ा दें स्वप्न जो, होते सत्य जरूर 
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तिमिर बताता छिप गया, खोजो कहाँ प्रकाश 
धरा कहे पग जमाकर, छूलो हँस आकाश 
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