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शनिवार, 28 नवंबर 2020

द्विपदियाँ

द्विपदियाँ 
*
तज कर वाद-विवाद कर,
आँसू का अनुवाद.
राग-विराग भुला "सलिल"
सुख पा कर अनुराग.
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भट का शौर्य न हारता,
नागर धरता धीर.
हरि से हारे आपदा,
बौनी होती पीर.
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प्राची से आ अरुणिमा,
देती है संदेश.
हो निरोग ले तूलिका,
रच कुछ नया विशेष.
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साँस पटरियों पर रही,
जीवन-गाडी दौड़.
ईधन आस न कम पड़े,
प्यास-प्रयास ने छोड़.
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इसको भारी जिलहरी,
भक्ति कर रहा नित्य.
उसे रुची है तिलहरी,
लिखता सत्य अनित्य.
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यह प्रशांत तर्रार वह,
माया खेले मौन.
अजय रमेश रमा सहित,
वर्ना पूछे कौन?
.
सत्या निष्ठा सिंह सदृश,
भूली आत्म प्रताप.
स्वार्थ न वर सर्वार्थ तज,
मिले आप से आप.
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नेह नर्मदा में नहा,
कलकल करें निनाद.
किलकिल करे नहीं लहर,
रहे सदा आबाद.
.
२८-११-२०१७ 

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