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शनिवार, 21 नवंबर 2020

मुक्तिका मनुहार

मुक्तिका 
मनुहार
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कर रहे मनुहार कर जुड़ मान भी जा
प्रिये! झट मुड़ प्रेम को पहचान भी जा
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जानता हूँ चाहती तू निकट आना
फ़ेरना मुँह है सुमुखि! केवल बहाना
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बाँह में दे बाँह आ गलहार बन जा
बनाकर भुजहार मुझ में तू सिमट जा
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अधर पर धर अधर आ रसलीन होले
बना दे रसखान मुझको श्वास बोले
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द्वैत तज अद्वैत का मिल वरण कर ले
तार दे मुझको शुभान्गी आप तर ले
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२१-११-२०१७

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