दोहा सलिला
राम आत्म परमात्म भी, राम अनादि-अनंत
चित्र गुप्त है राम का, राम सृष्टि के कंत
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विधि-हरि-हर श्री राम हैं, राम अनाहद नाद
शब्दाक्षर लय-ताल हैं, राम भाव रस स्वाद
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राम नाम गुणगान से, मन होता है शांत
राम-दास बन जा 'सलिल', माया करे न भ्रांत
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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