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शनिवार, 21 नवंबर 2020

कुन्डलिया

कुन्डलिया 
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मन उन्मन हो जब सखे!, गढ़ें चुटकुला एक
खुद ही खुद को सुनाकर, हँसें मशविरा नेक
हँसें मशविरा नेक, निकट दर्पण के जाएँ
अपनी सूरत निरख, दिखाकर जीभ चिढ़ाएँ
तरह-तरह मुँह बना, तरेंरे नैना खंजन
गढ़ें चुटकुला एक, सखे! जब मन हो उन्मन
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२१-११-२०१६

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