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रविवार, 22 नवंबर 2020

कार्यशाला कुण्डलिया

कार्यशाला- 
विधा - कुण्डलिया छंद 
कवि- भाऊ राव महंत 
०१
सड़कों पर हो हादसे, जितने वाहन तेज 
उन सबको तब शीघ्र ही, मिले मौत की सेज। 
मिले मौत की सेज, बुलावा यम का आता 
जीवन का तब वेग, हमेशा थम ही जाता। 
कह महंत कविराय, आजकल के लड़कों पर 
चढ़ा हुआ है भूत, तेज चलते सड़कों पर।।
१. जितने वाहन तेज होते हैं सबके हादसे नहीं होते, यह तथ्य दोष है. 'हो' एक वचन, हादसे बहुवचन, वचन दोष. 'हों' का उपयोग कर वचन दोष दूर किया जा सकता है। 
२. तब के साथ जब का प्रयोग उपयुक्त होता है, सड़कों पर हों हादसे, जब हों वाहन तेज। 
३. सबको मौत की सेज नहीं मिलती, यह भी तथ्य दोष है। हाथ-पैर टूटें कभी, मिले मौत की सेज 
४. मौत की सेज मिलने के बाद यम का बुलावा या यम का बुलावा आने पर मौत की सेज? क्रम दोष  
५. जीवन का वेग थमता है या जीवन (साँसों की गति) थमती है?
६. आजकल के लड़कों पर अर्थात पहले के लड़कों पर नहीं था, 
७. चढ़ा हुआ है भूत... किसका भूत चढ़ा है? 
सुझाव
सड़कों पर हों हादसे, जब हों वाहन तेज 
हाथ-पैर टूटें कभी, मिले मौत की सेज। 
मिले मौत की सेज, बुलावा यम का आता 
जीवन का रथचक्र, अचानक थम सा जाता। 
कह महंत कविराय, चढ़ा करता लड़कों पर 
जब भी गति का भूत, भागते तब सड़कों पर।। 
०२ 
बन जाता है हादसा, थोड़ी-सी भी चूक 
जीवन की गाड़ी सदा, हो जाती है मूक। 
हो जाती है मूक, मौत आती है उनको 
सड़कों पर जो मीत, चलें इतराकर जिनको। 
कह महंत कविराय, सुरक्षित रखिए जीवन 
चलकर चाल कुचाल, मौत का भागी मत बन।। 
१. हादसा होता है, बनता नहीं। चूक पहले होती है, हादसा बाद में क्रम दोष 
२. सड़कों पर जो मीत, चलें इतराकर जिनको- अभिव्यक्ति दोष 
३. रखिए, मत बन संबोधन में एकरूपता नहीं 
हो जाता है हादसा, यदि हो थोड़ी चूक 
जीवन की गाड़ी कभी, हो जाती है मूक। 
हो जाती है मूक, मौत आती है उनको 
सड़कों पर देखा चलते इतराकर जिनको। 
कह महंत कवि धीरे चल जीवन रक्षित हो 
चलकर चाल कुचाल, मौत का भागी मत हो।
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