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शनिवार, 21 नवंबर 2020

कार्यशाला मनहर घनाक्षरी छंद

कार्यशाला 
मनहर घनाक्षरी छंद 
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आठ-आठ-आठ-सात, पर यति रखकर, मनहर घनाक्षरी, छंद कवि रचिए।
लघु-गुरु रखकर, चरण के आखिर में, 'सलिल'-प्रवाह-गति, वेग भी परखिए।।
अश्व-पदचाप सम, मेघ-जलधार सम, गति अवरोध न हो, यह भी निरखिए।
करतल ध्वनि कर, प्रमुदित श्रोतागण- 'एक बार और' कहें, सुनिए-हरषिए।।
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लक्ष्य जो भी वरना हो, धाम जहाँ चलना हो, काम जो भी करना हो, झटपट करिए।
तोड़ना नियम नहीं, छोड़ना शरम नहीं, मोड़ना धरम नहीं, सच पर चलिए।।
आम आदमी हैं आप, सोच मत चुप रहें, खास बन आगे बढ़, देशभक्त बनिए।।
गलत जो होता दिखे, उसका विरोध करें, 'सलिल' न आँख मूँद, चुपचाप सहिये।।
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२१-११-२०१७

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