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शनिवार, 21 नवंबर 2020

गीत

गीत 
*
चीर तम का चीर आता,
रवि उषा के साथ.
दस दिशाएँ करें वंदन
भले आए नाथ.
*
करें करतल-ध्वनि बिरछ मिल,
सलिल-लहर हिलोर.
'भोर भई जागो' गुंजाती 
प्रात-पवन झकझोर.
चहचहाते विहग नापें  
गगन थामे हाथ.
*
स्वेद-श्रम का करें वंदन
करें नव निर्माण
कोशिशों का हेरती पथ,
मंज़िलें संप्राण.
जगमगाते स्वप्न देखें   
गर्व से झुक माथ.
*
 

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