कुल पेज दृश्य

शनिवार, 28 नवंबर 2020

मुक्तक

 मुक्तक

बहुत सुन्दर प्रेरणा है
सत्य ही यह धारणा है
यदि न प्रेरित हो सका मन
तो मिली बहु तारणा है
*
कार्यशाला में न आये, वाह सर
आये तो कुछ लिख न लाये, वाह सर
आप ही लिखते रहें, पढ़ते रहें
कौन इसमें सर खपाए वाह सर
*
आइये मिलकर गले मुक्तक कहें
गले शिकवे गिले, हँस मुक्तक कहें
महाकाव्यों को न पढ़ते हैं युवा
युवा मन को पढ़ सके, मुक्तक कहें
*
जगाते रहते गुरूजी मगर सोना है
जागता है नहीं है जग यही रोना है
कह रहे हम पा सकें सब इसी जीवन में
जबकि हम यह जानते सब यहीं खोना है


कोई टिप्पणी नहीं: