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गुरुवार, 26 नवंबर 2020

सामयिक नवगीत

 सामयिकबुंदेली नवगीत

*
नाग, साँप, बिच्छू भय ठाँड़े,
धर संतन खों भेस।
*
हात जोर रय, कान पकर रय,
वादे-दावे खूब।
बिजयी हो झट कै दें जुमला,
मरें नें चुल्लू डूब।।
की को चुनें, नें कौनउ काबिल,
कपटी, नकली भेस।
*
सींग मार रय, लात चला रय,
फुँफकारें बिसदंत।
डाकू तस्कर चोर बता रय,
खुद खें संत-महंत।
भारत मैया हाय! नोच रइ
इनैं हेर निज केस।
*
जे झूठे, बे लबरा पक्के,
बाकी लुच्चे-चोर।
आपन माँ बन रय रे मिट्ठू,
देख ठठा रय ढोर।
टी वी पे गरिया रय
भत्ते बढ़वा, सरम नें सेस।
*
संजीव,
२६-११-२०१८

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