कुल पेज दृश्य

बुधवार, 25 नवंबर 2020

दोहा मुक्तिका

दोहा मुक्तिका
संजीव 
*
स्नेह भारती से करें, भारत माँ से प्यार।
छंद-छंद को साधिये, शब्द-ब्रम्ह मनुहार।।
*
कर सारस्वत साधना, तनहा रहें न यार।
जीव अगर संजीव हों, होगा तब उद्धार।।
*
मंदिर-मस्जिद बन गए, सत्ता हित हथियार।।
मन बैठे श्री राम जी, कर दर्शन सौ बार।।
*
हर नेता-दल चाहता, उसकी हो सरकार।।
नित मनमानी कर सके, औरों को दुत्कार।।
*
सलिला दोहा मुक्तिका, नेह-नर्मदा धार।
जो अवगाहे हो सके, भव-सागर से पार।।
*
२५.११.२०१८

कोई टिप्पणी नहीं: