अभियंता दिवस (१५ सितंबर) पर विशेष रचना:
हम अभियंता...
संजीव 'सलिल'
*
हम अभियंता!, हम अभियंता!!
मानवता के भाग्य-नियंता...
माटी से मूरत गढ़ते हैं,
कंकर को शंकर करते हैं.
वामन से संकल्पित पग धर,
हिमगिरि को बौना करते हैं.
नियति-नटी के शिलालेख पर
अदिख लिखा जो वह पढ़ते हैं.
असफलता का फ्रेम बनाकर,
चित्र सफलता का मढ़ते हैं.
श्रम-कोशिश दो हाथ हमारे-
फिर भविष्य की क्यों हो चिंता...
अनिल, अनल, भू, सलिल, गगन हम,
पंचतत्व औजार हमारे.
राष्ट्र, विश्व, मानव-उन्नति हित,
तन, मन, शक्ति, समय, धन वारे.
वर्तमान, गत-आगत नत है,
तकनीकों ने रूप निखारे.
निराकार साकार हो रहे,
अपने सपने सतत सँवारे.
साथ हमारे रहना चाहे,
भू पर उतर स्वयं भगवंता...
भवन, सड़क, पुल, यंत्र बनाते,
ऊसर में फसलें उपजाते.
हमीं विश्वकर्मा विधि-वंशज.
मंगल पर पद-चिन्ह बनाते.
प्रकृति-पुत्र हैं, नियति-नटी की,
आँखों से हम आँख मिलाते.
हरि सम हर हर आपद-विपदा,
गरल पचा अमृत बरसाते.
'सलिल' स्नेह नर्मदा निनादित,
ऊर्जा-पुंज अनादि-अनंता...
.
सलिल.संजीव@जीमेल.कॉम
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in
हम अभियंता...
संजीव 'सलिल'
*
हम अभियंता!, हम अभियंता!!
मानवता के भाग्य-नियंता...
माटी से मूरत गढ़ते हैं,
कंकर को शंकर करते हैं.
वामन से संकल्पित पग धर,
हिमगिरि को बौना करते हैं.
नियति-नटी के शिलालेख पर
अदिख लिखा जो वह पढ़ते हैं.
असफलता का फ्रेम बनाकर,
चित्र सफलता का मढ़ते हैं.
श्रम-कोशिश दो हाथ हमारे-
फिर भविष्य की क्यों हो चिंता...
अनिल, अनल, भू, सलिल, गगन हम,
पंचतत्व औजार हमारे.
राष्ट्र, विश्व, मानव-उन्नति हित,
तन, मन, शक्ति, समय, धन वारे.
वर्तमान, गत-आगत नत है,
तकनीकों ने रूप निखारे.
निराकार साकार हो रहे,
अपने सपने सतत सँवारे.
साथ हमारे रहना चाहे,
भू पर उतर स्वयं भगवंता...
भवन, सड़क, पुल, यंत्र बनाते,
ऊसर में फसलें उपजाते.
हमीं विश्वकर्मा विधि-वंशज.
मंगल पर पद-चिन्ह बनाते.
प्रकृति-पुत्र हैं, नियति-नटी की,
आँखों से हम आँख मिलाते.
हरि सम हर हर आपद-विपदा,
गरल पचा अमृत बरसाते.
'सलिल' स्नेह नर्मदा निनादित,
ऊर्जा-पुंज अनादि-अनंता...
.
सलिल.संजीव@जीमेल.कॉम
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in
7 टिप्पणियां:
Pranava Bharti ✆ yahoogroups.com kavyadhara
आपको भ़ी अभियंता दिवस की बधाई हो,
अनिल,अनल, भू,सलिल ,गगन ........पंचतत्व आ गये तो समूची सृष्टि आ गई|
पूरा चित्र खींचकर आपने एक आकार गढ़ दिया है|
सादर
प्रणव
Indira Pratap ✆ द्वारा yahoogroups.com kavyadhara
प्रिय भाई संजीव जी ,
सरस्वती के वरद पुत्र बने रहें |बड़ी बहिन का आशीष | अभियंता बहुत अच्छी लगी | भगवान स्वयं पृथ्वी पर कैसे उतरते इसी लिए अभियंता बनाए | अभियंता दिवस तेरा कल्याण हो | इति शुभम | दिद्दा
दिद्दा
deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com
kavyadhara
संजीव जी,
अभियंता दिवस की बधाई! हमें तो पता ही नहीं था कि अभियंता दिवस भी होता है!
बहुत बढ़िया कविता लिखी है हमेशा की तरह!
साधुवाद!
सादर,'
दीप्ति
यह देश का दुर्भाग्य है कि स्वतंत्रता के समय सुई तक आयातित करनेवालेदेश को विश्व के समुन्नत देशों की टक्कर में लाकर खड़ा कर देनेवाले अभियंताओं में पत्रकारों, नेताओं और जानता को केवल और केवल भ्रष्टाचार दिखता है. प्रशासनिक, चिकित्सा और शिक्षा क्षेत्र में अपने समकक्ष की तुलना में अभियंता को आधे से भी कम वेतन मिलता है जबकि सेना, पुलिस तथा अर्ध सैनिक बलों के बाद कार्य के दौरान सर्वाधिक मृत्यु दर अभियंताओं की है.
deepti gupta ✆ yahoogroups.com
kavyadhara
आप तनिक अफसोस न करें ! इसे आप देखने वालों की नज़र और सोच का दोष मानें ! लोगो की जैसी मनोवृत्ति होती है, उन्हें दूसरे वैसे ही नज़र आते हैं ! ऐसे लोग दया के पात्र हैं ! वरना कौन नहीं जानता कि अभियंता की अहमियत क्या है !
सादर,
दीप्ति
- prakashgovind1@gmail.com
नियति-नटी के शिलालेख पर
अदिख लिखा जो वह पढ़ते हैं.
असफलता का फ्रेम बनाकर,
चित्र सफलता का मढ़ते हैं.
आदरणीय संजीव जी
अभियंता दिवस पर हार्दिक बधाई !
इस अवसर पर आपने अत्यंत उत्कृष्ट रचना का सृजन किया है .... बहुत सुन्दर ...संग्रहणीय !
बहुत बहुत बधाई
Indira Pratap ✆ yahoogroups.com kavyadhara
भाई सलिल जी ,बहुत सारी बातों की उपेक्षा करना ही ठीक रहता है | यह मेरा उपदेश नहीं भगवान बुद्ध एक मन्त्र दे गए हैं | मैं भी इस को अपने जीवन में उतारनेका प्रयत्न करती हूँ बहुत बार सफल भी हो जाती हूँ | दिद्दा
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