ॐ श्री गणेशाय नमः
श्री गणेश प्रातः स्मरण मन्त्र
हिंदी दोहा अनुवाद : संजीव 'सलिल'
प्रातः स्मरामि गणनाथमनाथ बन्धुं, सिन्दूरपूरपरिशोभितगण्डयुग्मं.
उद्दंडविघ्नपरिखण्डनचण्डदण्डमा, खण्डलादि सुरनायकवृन्दवन्द्यं।
दीनबंधु गणपति नमन, सुबह सुमिर नत माथ.
शोभित गाल सिँदूर से, रखिए सिर पर हाथ..
विघ्न निवारण हित हुए, देव दयालु प्रचण्ड.
सुर-सुरेश वन्दित प्रभो, दें पापी को दण्ड..
*
प्रातर्नमामि चतुराननवन्द्यमानमिच्छानुकूलमखि
त तुन्दिलं द्विरसनाधिपयज्ञसूत्रं पुत्रं विलासचतुरं शिवयो: शिवाय
ब्रम्ह चतुर्भुज प्रात ही, करें वंदना नित्य.
मनचाहा वर दास को, देवें देव अनित्य..
उदार विशाल जनेऊ है, सर्प महाविकराल.
कीड़ाप्रिय शिव-शिवा सुत, नमन करूँ हर काल..
*
प्रातर्भजाम्यभयदं खलु भक्तशोकदावानलं गणविभुं वरकुंजरास्यं
अज्ञानकाननविनाशनहव्यवाहमुत्सा
शोक हरें दावाग्नि बन, अभय प्रदायक दैव.
गणनायक गजवदन प्रिय, रहिए सदय सदैव..
जड़ जंगल अज्ञान का,करें अग्नि बन नष्ट.
शंकरसुत वंदन-नमन, दें उत्साह विशिष्ट..
*
श्लोकत्रयमिदं पुण्यं सदा साम्राज्यदायकं
प्रातरुत्थाय सततं यः पठेत प्रयते पुमान
नित्य प्रात उठकर पढ़ें, यह पावन श्लोक.
सुख-समृद्धि पायें अमित, भू पर हो सुरलोक..
************
श्री गणेश पूजन मंत्र
हिंदी पद्यानुवाद: संजीव 'सलिल'
*
गजानना पद्मर्गम गजानना महिर्षम
अनेकदंतम भक्तानाम एकदंतम उपास्महे
कमलनाभ गज-आननी, हे ऋषिवर्य महान.
करें भक्त बहुदंतमय, एकदन्त का ध्यान..
गजानना = हाथी जैसे मुँहवाले, पद्मर्गम = कमल को नाभि में धारण करने वाले अर्थात जिनका नाभिचक्र शतदल कमल की तरह पूर्णता प्राप्त है, महिर्षम = महान ऋषि के समतुल्य, अनेकदंतम = जिनके दाँत दान हैं, भक्तानाम भक्तगण, एकदंतम = जिनका एक दाँत है, उपास्महे = उपासना करता हूँ.
*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें