हास्य सलिला:
याद
संजीव 'सलिल'
कालू से लालू कहें, 'दोस्त! हुआ हैरान.
घरवाली धमका रही, रोज खा रही जान.
पीना-खाना छोड़ दो, वरना दूँगी छोड़.
जाऊंगी मैं मायके, रिश्ता तुमसे तोड़'
कालू बोला: 'यार! हो, किस्मतवाले खूब.
पिया करोगे याद में, भाभी जी की डूब..
बहुत भली हैं जा रहीं, कर तुमको आजाद.
मेरी जाए तो करूँ मैं भी उसको याद..'
सलिल.संजीव@जीमेल.कॉम
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in.divyanarmada
0761 2411131 / 94251 83244
याद
संजीव 'सलिल'
कालू से लालू कहें, 'दोस्त! हुआ हैरान.
घरवाली धमका रही, रोज खा रही जान.
पीना-खाना छोड़ दो, वरना दूँगी छोड़.
जाऊंगी मैं मायके, रिश्ता तुमसे तोड़'
कालू बोला: 'यार! हो, किस्मतवाले खूब.
पिया करोगे याद में, भाभी जी की डूब..
बहुत भली हैं जा रहीं, कर तुमको आजाद.
मेरी जाए तो करूँ मैं भी उसको याद..'
सलिल.संजीव@जीमेल.कॉम
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in.divyanarmada
0761 2411131 / 94251 83244
5 टिप्पणियां:
Mukesh Srivastava
बहुत भली हैं जा रहीं, कर तुमको आजाद.
मेरी जाए तो करूँ मैं भी उसको याद..'
वाह, वाह, संजीव जी.... काश की सभी की बीवियां इतनी अक्लमंद हो जाती..... रूठती तो बहुत हैं, पर जाती नहीं
सादर,
मुकेश
"sn Sharma"
प्रिय संजीव जी,
घरवाली तो जहाँ थीं वहीं बनी हैं आज
टेक अंगूठा हों भले करती रही हीं राज
करती रही हैं राज रूठ कर लालू भागे
सोहन हलुवा नहीं चला रबडी के आगे
अच्छी लगी न दिल्ली के संसद की थाली
रोज भेजती रही दूध का मटका घरवाली
सादर,
कमल
vijay ✆ द्वारा yahoogroups.com
kavyadhara
अति सुन्दर हास्य के लिए साधुवाद !
सस्नेह,
विजय
- sosimadhu@gmail.com
clapping... clapping... clapping...
मधु
- mcdewedy@gmail.com
सलिल जी,
अति हास्यमय रचना हेतु बधाई.
'खाना-पीना'की जगह संभवतः'चारा खाना'लिखना चाहते रहे होंगे.
महेश चन्द्र द्विवेदी
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