कुल पेज दृश्य

शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

हास्य रचना: प्रवचन संजीव 'सलिल'


हास्य रचना:
प्रवचन



संजीव 'सलिल'
 
*



आधी रात पुलिस अफसर ने पकड़ा एक मुसाफिर.
'नाम बात, तू कहाँ जा रहा?, क्या मकसद है आखिर?'

घुड़की सुन, गुम सिट्टी-पिट्टी, वह घबराकर बोला:
' जी हुजूर! प्रवचन सुनने जाता, न चोर, मैं भोला.'

हँसा ठठाकर अफसर 'तेरा झूठ पकड़ में आया.
चल थाने, कर कड़ी ठुकाई, सच जानूंगो भाया.'

'माई-बाप! है कसम आपकी, मैंने सच बोला है.
जाता किसका प्रवचन सुनने? राज न यह खोला है.'

'कह जल्दी, वरना दो हत्थड़ मार राज जानूँगा.'
'वह बोला: क्या सच न बोलकर व्यर्थ रार ठानूँगा.'

'देर रात को प्रवचन केवल मैं न, आप भी सुनते.
और न केवल मैं, सच बोलूँ? शीश आप भी धुनते.'

सब्र चुका डंडा फटकारा, गरजा थानेदार.
जल्दी पूरी बात बता वरना खायेगा मार.'

यात्री बोला:'मैं, तुम, यह, वह सबकी व्यथा निराली.
देर रात प्रवचन सुनते सब, देती नित घरवाली.



*******************************************

Acharya Sanjiv verma 'Salil'

http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in

5 टिप्‍पणियां:

- kusumvir@gmail.com ने कहा…

- kusumvir@gmail.com

आदरणीय सलिल जी
आपने बहुत ही सुन्दर,एवं अति रोचक कविता लिखी है l
बहुत बधाई l
सादर,
कुसुम वीर

deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com ने कहा…

deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com

kavyadhara


संजीव जी,
अबाधित और नियमित 'पत्नी प्रवचन' पर आपकी रचना बहुत भायी!

अशेष साधुवाद!
सादर,
दीप्ति

- sosimadhu@gmail.com ने कहा…

- sosimadhu@gmail.com
आ. संजीव जी

काका हाथरसी की एक हास्य कविता याद हो आयी
"
पत्नी खटिया पर पड़ी व्याकुल घर के लोग
व्याकुल घर के लोग वैद्य ततकाल बुलाया
इनको माता निकली है उसने समझाया
धन्य , धन्य हो धन्य भाग्य विधाता
मांगी पत्नी किन्तु तुमने भेज दी माता ."
मधु

deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com ने कहा…

deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com

kavyadhara


:)) laughing :)) laughing :)) laughing

बहुत खूब मधु दी !
दीप्ति

Ram Gautam ✆ ekavita ने कहा…

Ram Gautam ✆ ekavita


आ. आचार्य जी,
बहुत सुंदर हास्य है, पढ़कर अच्छा लगा |
आपको बधाई |
सादर- गौतम
यात्री बोला:'मैं, तुम, यह, वह सबकी व्यथा निराली.
देर प्रवचन सुनते सब, देती है घरवाली.