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मंगलवार, 25 सितंबर 2012

धरोहर:३ _नागार्जुन

धरोहर :
इस स्तम्भ में विश्व की किसी भी भाषा की श्रेष्ठ मूल रचना देवनागरी लिपि में, हिंदी अनुवाद, रचनाकार का परिचय व चित्र, रचना की श्रेष्ठता का आधार जिस कारण पसंद है. संभव हो तो रचनाकार की जन्म-निधन तिथियाँ व कृति सूची दीजिए. धरोहर में सुमित्रा नंदन पंत तथा मैथिलीशरण गुप्त के पश्चात् अब आनंद लें नागार्जुन जी की रचनाओं का।

३.स्व.नागार्जुन

प्रस्तुति : इंदिरा प्रताप
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नर हो न निराश करो मन को
धरोहर के अंतर्गत कवि नागार्जुन की एक कविता प्रस्तुत है| मुझे यह कविता इसलिए पसंद है क्योंकि कवि ने जिन आर्त प्रेम कथाओं का सहारा लेकर इसकी रचना की है उसने कालिदास के माध्यम से अपनें ही अति संवेदनशील हृदय का परिचय दिया है | कोई भी रचना पढ़ते समय हमें उसके लिखे शब्दों को नहीं उस कवि के हृदय को पढ़ना चाहिए, मेरा ऐसा मानना है, कवि नागार्जुन ने इसी सत्य को उजागर किया है|
 




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धरोहर के अंतर्गत कवि नागार्जुन की एक कविता प्रस्तुत है| मुझे यह कविता इसलिए पसंद है क्योंकि कवि ने जिन आर्त प्रेम कथाओं का सहारा लेकर इसकी रचना की है उसने कालिदास के माध्यम से अपनें ही अति संवेदनशील हृदय का परिचय दिया है | कोई भी रचना पढ़ते समय हमें उसके लिखे शब्दों को नहीं उस कवि के हृदय को पढ़ना चाहिए, मेरा ऐसा मानना है, कवि नागार्जुन ने इसी सत्य को उजागर किया है|

अमर कविता:

कालिदास सच – सच बतलाना

_नागार्जुन
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कालिदास सच - सच बतलाना |
इंदुमती के मृत्यु शोक से
अज रोया या तुम रोए थे ?
कालिदास सच – सच बतलाना |
शिव की तीसरी आँख से
निकली हुई महा ज्वाला में
घृत मिश्रित सूखी समिधा सम
कामदेव जब भस्म हो गया
रति का क्रंदन सुन आँसू से
तुमने ही तो दृग धोए थे ?
कालिदास सच – सच बतलाना |
रति रोई या तुम रोए थे ?
वर्षा ऋतु की स्निग्ध भूमिका
प्रथम दिवस आषाढ़ मास का
देख गगन में श्याम घटा बन
विघुर यक्ष का मन जब उचटा
खड़े – खड़े तब हाथ जोड़ कर
चित्रकूट के सुभग शिखर पर
उस बेचारे ने भेजा था
जिनके ही द्वारा संदेशा
उन पुष्करावर्त मेघों का
साथी बन कर उड़ने वाले
कालिदास सच – सच बतलाना
पर पीड़ा से पूर – पूर हो
थक – थक कर औ’ चूर – चूर हो
अमल धवल गिरी के शिखरों पर
प्रियवर, तुम कब तक सोए थे ?
रोया यक्ष कि तुम रोए थे ?
कालिदास सच – सच बतलाना |
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पछाड़ दिया है आज मेरे आस्तिक ने , बाबा नागार्जुन


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