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बुधवार, 4 अगस्त 2021

दोहा, वर्षा, मेघदूत

दोहा सलिला
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मेघदूत संदेश ले, आये भू के द्वार
स्नेह-रश्मि पा सुमन हँस, उमड़े बन जल-धार
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पल्लव झूमे गले मिल, कभी करें तकरार
कभी गले मिलकर 'सलिल', करें मान मनुहार
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आदम दुबका नीड़ में, हुआ प्रकृति से दूर
वर्षा-मंगल भूलकर, कोसे प्रभु को सूर
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मेघदूत के मुँह चढ़ा, मास्क देख भयभीत
यक्षप्रिया बेसुध हुई, विकल मेघ की प्रीत 
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४-८-२०२०

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