संजीव
प्रभु जी! झूलें विहँस हिंडोला
*
मैया खोंसें कान कजलियाँ, मुस्कायें बम भोला।
ग्वाल-बाल सँग खाँय खजुरियाँ, तजकर माखन-गोला।
हमें बुला बिठलाँय बगल में, राधा का मन डोला।
रिमझिम-रिमझिम बादल बरसें, भीगा सबका चोला।
सावन गीत गा रहीं सखियाँ, प्रेम सुरों में घोला।
२५-८-२०१६
***
***
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें