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गुरुवार, 19 अगस्त 2021

कहमुकरी

मुकरी / कहमुकरी
*
आँखमिचौली खेले पल-पल
ज्यों जलधार बह रही कलकल
हँस प्रकाश का साथ निभाया
क्या सखि माया?, नहिं सखि छाया
*
मनमोहक हर रचना करती
गुणग्राहक का मन झट हरती
नित्य निखर जग जय कर लीना
है सखि बीना?, ना सखि मीना
*
हर मन चाहे मिलना रोज
अगर न पाता करता खोज
चाह रहे सब उसकी गोद
क्या सखि बिस्तर?, नहीं विनोद
*
सृष्टि रचे प्रभु खेल कर रहा
नित्य अशुभ-शुभ मेल कर रहा
रसवर्षा ही है अरमान
आसमान है?, नहिं अभियान
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संजीव
19-8-2020

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