दोहा मुक्तिका- साक्षी मलिक 
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साक्षी साक्षी दे रही, मत हो देश उदास
जीत बनाती है सदा, एक नया इतिहास
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कर्माकर ने दिखाया, बाकी अभी उजास 
हिम्मत मत हारें करें, जुटकर सतत प्रयास 
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जीत-हार से हो भले, जय-जय या उपहास 
खेल खिलाड़ी के लिए, हर कोशिश है खास 
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खेल-भावना ही हरे, दर्शक मन की प्यास 
हॉकी-शूटिंग-आर्चरी, खेलो हो बिंदास 
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कहाँ जाएगी जीत यह?, कल आएगी पास 
नित्य करो अभ्यास जुट, मन में लिए हुलास 
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निराधार आलोचना, भूल करो अभ्यास 
सुन कर कर दो अनसुना, मन में रख विश्वास 
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मरुथल में भी आ सके, निश्चय ही मधुमास 
आलोचक हों प्रशंसक, डिगे न यदि विश्वास
१८-८-२०१६ 
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