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बुधवार, 21 अप्रैल 2021

दोहे अंगिका के

दोहे का रंग, अंगिका के संग:
संजीव 'सलिल'
(अंगिका बिहार के अंग जनपद की भाषा)
*
काल बुलैले केकरs, होतै कौन हलाल?
मौन अराधे दैव कै, ऐतै प्रातः काल..
*
मौज मनैतै रात-दिन, होलै की कंगाल.
साथ न आवै छाँह भी, आगे कौन हवाल?.
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एक-एक के खींचतै, बाल- पकड़ लै खाल.
नीन नै आवै रात भर, पलकें करैं सवाल..
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२१-४-२०१० 

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