हँस इबादत करो .
मत अदावत करो
मौन बैठो न तुम
कुछ शरारत करो
सो लिये हो बहुत
जग बगावत करो
अब न फेरो नजर
मिल इनायत करो
आज शिकवे सुनो
कल शिकायत करो
छोड चलभाष दो
खत किताबत करो
बेहतरी का कदम
हर रवायत करो
*
२४-४-२०१४
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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