कुल पेज दृश्य

शनिवार, 24 अप्रैल 2021

नवगीत

नवगीत:
संजीव
.
इंसां गया जान से
देखें लोग तमाशा
.
सबके अपने-अपने कारण
कोई करता नहीं निवारण
चोर-चोर मौसेरे भाई
राजा आप आप ही चारण
सचमुच अच्छे दिन आये हैं
पहले पल में तोला
दूजे पल में माशा
इंसां गया जान से
देखें लोग तमाशा
.
करो भरोसा तनिक न इस पर
इन्हें लोक से प्यारे अफसर
धनपतियों के हित प्यारे हैं
पद-मद बोल रहा इनके सर
धृतराष्ट्री दरबार न रखना
तनिक न्याय की आशा
इंसां गया जान से
देखें लोग तमाशा
.
चौपड़ इनकी पाँसे इनके
छल-फरेबमय झाँसे इनके
जनास्था की की नीलामी
लोक-कंठ में फाँसे इनके
सत्य-धर्म जो स्वारथ साधे
यह इनकी परिभाषा
इंसां गया जान से
देखें लोग तमाशा
.**
२४-४-२०१५

कोई टिप्पणी नहीं: