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रविवार, 25 अप्रैल 2021

मरीजों के पास cctv

विमर्श 
मरीजों के पास cctv लगाकर उसकी रिकॉर्डिंग उपलब्ध कराना क्यों जरुरी है?
प्रिय डॉक्टर!
सदा प्रसन्न रहो। 
तुम्हारी बात धैर्य के साथ सुनी। 
क्या मरीज और उसके स्वजनों का मानवाधिकार नहीं है? क्या किसी रोगी या उसके स्वजनों को यह जानने का भी अधिकार नहीं है कि रोगी की स्थिति कैसी है?, उसे क्या चिकित्सा दी जा रही है? यदि सब कुछ सही हो रहा है तो बताने में हर्ज क्या है? 
यह माँग निराधार नहीं है। कोई त्रुटि सेवा में कमी होने पर या उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत रोगी या स्वजन कार्यचाही कैसे करें कब उन्हें कुछ मालूम ही न हो। कमी डॉक्टर के इलाज में न भी हो तो कार्यवाही का कारण अस्पताल का प्रबंधन अव्यवस्था, कर्मचारियों की लापरवाही, आवश्यक उपकरणों या यंत्रों का सही स्थिति में न होना भी हो सकता है। 
पिछले कुछ दिनों में निम्न परिस्थितियाँ प्रकाश में आई हैं-
१. कुछ अस्पतालों के चिकित्सक और पैरामेडिकल कर्मचारी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गए क्योंकि वे कोरोना मरीजों को लगाने के लिए दिए गए रेमेडिसवर इंजेक्शन बाजार में बेच रहे थे। बेसुध मरीज तो नहीं जान सकता कि उसे कौन सा इंजेक्शन लगाया गया और कौन सा नहीं लगाया गया? मैं सहमत हूँ कि हर कुछ को छोड़कर शेष चिकित्सक ईमानदार हैं पर जो कुछ गलत हैं उन्हें रोकने के लिए स्वजनों की यह माँग गलत कैसे कही जा सकती है। 
२. ऐसे वीडियो भी हैं जिनमें वार्ड बॉय मरीज की ऑक्सीजन निकलकर दूसरे मरीज को लगा रहा है, हुए पहला मरीज कुछ देर में मर गया।  प्रबंधन ने यह आरोप झुठला दिया। डॉक्टर कोप पता ही नहीं था कि कहीं किसी नेता या गुंडे के दबाव में, कहीं किसी संपन्न मरीज से कुछ धन लेकर वार्ड बॉय ऐसा कर गया। मानना इसलिए पड़ा कि किसी ने छिपकर विडिओ बना लिया था। ऐसे गलत तत्वों को रोकने या पकड़ने के लिए cctv क्यों न लगाया जाए? 
३. कई प्रकरणों में अस्पताल स्वजनों को मृतक मरीज का शव भी नहीं दे रहे। एक मरीज ने प्रबंधन पर बहुत दबाव बनाया तो उन्हें बैग में शव दे दिया गया। कब्रिस्तान में दफ़नाते समय बैग फट जाने से शव गिरा गया। स्वजन यह देखकर स्तब्ध रह गए कि शव महिला का था जबकि उनका मरीज पुरुष था। वे तुरंत अस्पताल लौटे और प्रबंधन को बताया तो कहा गया कि गलती से हो गया, उनके मरीज को जलाया जा चुका है।
४. डॉक्टर समाज का प्रतिष्ठित, संपन्न और विश्वास पात्र संवर्ग है। अपनी विश्वसनीयता के लिए उन्हें cctv का स्वागत करना चाहिए, इससे (१) बेईमान कर्मचारियों और प्रबंधन की कमी सामने आने पर चिकित्सक जनाक्रोश के शिकार न होंगे, (२) बेईमान कर्मचारी डरेंगे कि कैमरा लगा है, इससे मरीज की जान न जा सकेगी। 
अस्पताल में पारदर्शिता केवल होनी ही नहीं चाहिए, दिखनी भी चाहिए। 
५. मरीज या स्वजनों के अधिकार की बात करना चिकित्सक के प्रति अविश्वास नहीं है, इसके विपरीत इसमें ईमानदार चिकित्सक की सुरक्षा निहित है। 
६. चिकित्सकों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ के प्रति प्रधान मंत्री से लेकर स्थानीय नेता, अधिकारी और आम लोग तक अपना आभार व्यक्त कर चुके हैं। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारीयों के प्रति भी आभार जताया गया है। 
७. क्या बिना मजबूत-सुरक्षित भवन, जलप्रदाय व्यवस्था, विद्युत् व्यवस्था, इलक्ट्रोनिक यंत्रोपकरणों, यातायात साधनों, सड़कों आदि के बिना चिकित्सा सेवा संचालित की जा सकती है? 
ये सेवाएँ कौन देता है?  इन कार्यों-सेवाओं को संचालित-संधारित कर रहे अभियंता वर्ग पर निरंतर अत्यधिक कार्यभार का दबाव है? उनका कार्य पृष्ठभूमि में होने पर भी अपरिहार्य है। इस संवर्ग के प्रति एक बार किसी भी स्तर पर किसी ने आभार व्यक्त नहीं किया। यह भी कि कुछ छुटपुट घनाओं को छोड़कर कहीं भी इस वर्ग की सेवाओं में कोी कमी नहीं पाई गई है। 
आप जैसे युवाओं को लोकतंत्र में नागरिक अधिकारों की अहमियत समझनी चाहिए और उसके समर्थन में खड़े होना चाहिए। पेशेगत समझ और लाभ को मानवीय जीवनाधिकारों पर वरीयता न दें। अपने बीच में से कुछ गलत लोगों को निकल बाहर करने में सहायक हों। आप जैसे ईमानदार को किसी भी कैमरे से कोई भय नहीं हो सकता।
आपके उज्जवल भविष्य के प्रति शुभ कामनाएँ। 
एक नागरिक         

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