कुल पेज दृश्य

सोमवार, 26 अप्रैल 2021

गीत

गीत 
हे समय के देवता! 
संजीव 'सलिल' 
*
हे समय के देवता! गर दे सको वरदान दो तुम...
*
श्वास जब तक चल रही है, आस जब तक पल रही है,
अमावस का चीरकर तम-प्राण-बाती जल रही है. 
तब तलक रवि-शशि सदृश हम रौशनी दें तनिक जग को.
ठोकरों से पग न हारें-करें ज्योतित नित्य मग को. 
दे सको हारे मनुज को, विजय का अरमान दो तुम.
हे समय के देवता! गर दे सको वरदान दो तुम...
*
नयन में आँसू न आएँ, हुलसकर सब कंठ गाएँ.
कंटकों से भरे पथ पर-चरण पग धर भेंट आये. 
समर्पण विश्वास निष्ठा सिर उठाकर जी सके अब.
मनुज हँसकर गरल लेकर-शम्भु-शिववत पी सकें अब. 
दे सको हर अधर को मुस्कान दो, मधुगान दो तुम..
हे समय के देवता! गर दे सको वरदान दो तुम...
*
सत्य-शिव को पा सकें हम' गीत सुन्दर गा सकें हम.
सत-चित-आनंद घन बन-दर्द-दुःख पर छा सकें हम. 
काल का कुछ भय न व्यापे, अभय दो प्रभु!, सब वयों को.
प्रलय में भी जयी हों-संकल्प दो हम मृण्मयों को. 
दे सको पुरुषार्थ को परमार्थ की पहचान दो तुम.
हे समय के देवता! गर दे सको वरदान दो तुम...
***
टीप- लगभग ४ दशक पूर्व रचा गया मेरा पहला गीत। 

कोई टिप्पणी नहीं: