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गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

समीक्षा राजलक्ष्मी शिवहरे

पुस्तक सलिला 
*रहस्यमयी गुफा*
 छाया सक्सेना प्रभु
[रहस्यमयी गुफा, बाल कहानियाँ, डॉ राजलक्ष्मी शिवहरे प्रकाशक- पाथेय प्रकाशन , जबलपुर (म.प्र.) पृष्ठ- 64, मूल्य- 100₹]
*
सभी बच्चों को समर्पित यह बाल कहानियों का संग्रह 3 से 12 साल के बच्चों को अवश्य ही पसंद आयेगा । बाल्यकाल में ही नैतिक आचरण की नींव पड़ जाती है, ऐसे समय में अच्छी कहानियाँ बच्चों को न केवल समझदार बनाती हैं वरन उनका जीवन के प्रति नजरिया भी बदल देती हैं ।आपस में प्रेम भाव से मिलकर रहना, सूझबूझ, नैतिक शिक्षा का पाठ , इन्हीं बाल कथाओं के माध्यम से सीखा जा सकता है । पुस्तक का आकर्षक आवरण पृष्ठ, सुंदर प्रिंटिंग इसे और भी प्रभावशाली बनाती है । इसमें छह कहानियाँ हैं -
*पहली कहानी- फूटी ढोलकिया*
इस कहानी को लेखिका ने बहुत ही रोचक ढंग से लिखा है । ऐसा लगता है मानो कोई बड़ा बूढ़ा कहानी सुना रहा हो । इस कहानी में चतुर सुजान नामक पात्र के माध्यम से बहुत ही अच्छे तरीके से शिक्षा दी गयी है कि बुद्धिमानी से कुछ भी संभव है । कैसे चतुरसुजान ने अकेले ही चोर लुटेरों को बुद्धू बना अपनी यात्रा निर्विघ्न सम्पन्न की ।
बीच - बीच में कुछ गीत की पंक्तियाँ हैं जिससे उत्सुकता और बढ़ रही है ।
वाह रे चतुर सुजान
चले हैं देखो ससुराल
लाने को बहुरिया
चेहरे पर सजी है शान
पर साथ में लाना है दहेज का माल
खरी तौर से संभाल ।
ये कहानी पूरे तारतम्य के साथ सधी हुयी शैली में आगे बढ़ती जाती है , अब क्या होगा यह जिज्ञासा भी बनी रहती है । किस प्रकार से चतुर सुजान समस्या से निपटेंगे । फूटी ढोलकिया में टेप रिकार्डर के द्वारा आवाज उतपन्न कर एक अलग ही रोमान्च पैदा किया है । बच्चों को काल्पनिकता बहुत भाती है ।
*दूसरी कहानी- जन्मदिन की गुड़िया*
सभी बच्चों को जन्मदिन का बेसब्री से इंतजार रहता है और वे इसे खास बनाने हेतु कोई न कोई योजना मन में बना लेते हैं व अपने पापा मम्मी से पूरी करवा कर ही दम लेते हैं ।
ऐसी ही कहानी शिवी की है जिसके पापा सीमा पर हैं जहाँ लड़ाई चल रही है । माँ सिलाई करके जीविका चलाती है । शिवी का माँ से पाँच रुपये का माँगना और माँ ने उसे दे दिया अब कैसे वो उसका उपयोग समझदारी से करती है ये इस कथानक का मुख्य उद्देश्य है । ये शिक्षा बच्चों को ऐसी ही कहानियों द्वारा दी जा सकती है ।
जन्मदिन पर जैसा अक्सर घरों में होता है वैसा ही इस कहानी में खूबसूरती के साथ लिखा गया है -
*भगवान को प्रणाम करके शिवी माँ के पास गयी तो देखा माँ हलवा बना रही थी ।*
माँ का हलवे को भोग लगाकर शिवी को खिलाना, टीका करना , ये सब भारतीय संस्कृति के हिस्से हैं जिनसे बच्चों का परिचय होना जरूरी है ।
शिवी ने कैसे पड़ोस में रहनेवाली दादी की मदद की दवाई खरीदने में, उसने अपने 5 रुपये उन्हें दे दिए । माँ के पूछने पर क्या तुम सहेलियों के साथ जन्मदिन मना आयी तो बहुत ही समझदारी भरा जबाब दिया । वो माँ द्वारा बनायी गयी गुड़िया से संतुष्ट हो गयी । ये सब शिक्षा बड़े आसानी से बच्चों को समझ में आ जायेगी । देने का सुख क्या होता है । मिल बाँट कर इस्तेमाल की आदत का विकास भी ऐसी ही बाल कथाओं से होता है ।
*तीसरी कहानी- मैं झूठ क्यों बोला*
हम बच्चों को सदैव सिखाते हैं सच बोलना चाहिए, पर कई बार ऐसे अवसर आते हैं जब झूठ बोलने से किसी का भला हो जाता है तो ऐसे अवसर पर समझदारी से कार्य करना पड़ता है ।
इस कहानी द्वारा यही सीख मिलती है । तीन दोस्त किस तरह से अच्छे नंबरों से पास हुए , पढ़ाई अलग- अलग बैठकर अच्छे से होती है ये भी समझ में आया । बहुत सरल तरीके से अच्छे उदाहरण के द्वारा लेखिका ने अपनी बात बच्चों तक पहुँचायी ।
*चौथी कहानी- सोने का अंडा*
छोटे बच्चों को परी की कहानी बहुत लुभाती है । इसकी ये लाइन देखिए इसमें छोटी बच्ची जिसका नाम मीनू है परी से कह रही है - हाँ दीदी , माँ कहती हैं , सबकी सहायता करने से भगवान खुश होते हैं ।
इस कहानी में जो सोने का अंडा उन्हें मिलता उसे बेचकर वे थोड़ा सा खुद रखतीं बाकी गरीबो को बाँट देती ये सीख आज के समय बहुत जरूरी है क्योंकि अक्सर लोग लालच में अंधे होकर सब मेरा हो इसी लिप्सा की पूर्ति में आजीवन लगे रहते हैं ।
*पाँचवी कहानी- रहस्यमयी गुफा*
तिलिस्म पर आधारित बालकथा , बहुत ही धाराप्रवाह तरीके से लिखी गयी है । अजीत नामक बालक न केवल न्याय करता है बल्कि पूरी विनम्रता के साथ राजदरबार के कार्यों का संचालन करता है ।
छोटे छोटे संवाद कहानी की सहजता को बढ़ाते हैं । आसानी से बच्चे इसको पढ़कर या सुनकर आनन्दित होंगे ।
तो क्या हम भी सुबह कैद कर लिए जायेंगे ?
महाराज यह तो आपकी न्याय बुद्धि बतायेगी ।
ठीक है कहकर अजीत सिंहासन पर बैठ गया ।
हमारी मुहर लाओ ।
ऐसे ही छोटे- छोटे वाक्यों के प्रयोग से बात आसानी से पाठकों तक पहुँचती है ।
तथ्यों को सुनकर फैसला देना, सबको आजाद करना ये सब घटनाएँ रोचक तरीके से लिखी गयी हैं ।
*छटवीं कहानी- बच्चों का अखबार*
आज की ताजी खबर, सुनों मुन्ना जी इधर ।
सुनो रीना जी इधर, आज की ताजा खबर ।।
इस पंक्ति से शुरू व इसी पर समाप्त होती ये कहानी बहुत ही सिलसिलेवार ढंग से आगे बढ़ती है । बच्चे खुद ही अखबार सम्पादित करें, उन्हीं की खबरें हों, वे ही इसे बाँटे इस कल्पना को साकार करती हुयी अच्छी शिक्षाप्रद कहानी ।
काल्पनिकता को विकसित करने हेतु ऐसी कहानियों को अवश्य ही बच्चों को पढ़ने हेतु देना चाहिए ।
चूँकि लेखिका वरिष्ठ उपन्यासकार , कथाकार व कवयित्री हैं इसलिए उनके अनुभवों का असर इन बालकथाओं पर स्पष्ट दिख रहा है । सभी कहानियाँ शिक्षाप्रद होने के साथ- साथ सहज व सरल हैं जिससे इन्हें पढ़ने या सुनने वाला अवश्य ही लाभांवित होगा ।
*समीक्षक*
छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर (म. प्र.)
7024285788

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