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गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021

दोहा सलिला

दोहा सलिला
पूनम नम नयना लिए, करे काव्य की वृष्टि।
पूर्णिमा रस ले बिखर, निखर रचे नव सृष्टि।।
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प्रणय पत्रिका पूर्णिमा, प्रणयी मृग है चाँद।
चंचल हिरणी ज्योत्सना, रही गगन को फाँद।।
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