पूनम नम नयना लिए, करे काव्य की वृष्टि।
पूर्णिमा रस ले बिखर, निखर रचे नव सृष्टि।।
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प्रणय पत्रिका पूर्णिमा, प्रणयी मृग है चाँद।
चंचल हिरणी ज्योत्सना, रही गगन को फाँद।।
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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