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गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021

कार्यशाला दोहा से कुंडलिया

कार्यशाला
दोहा से कुंडलिया
संजीव वर्मा 'सलिल', 
*
पुष्पाता परिमल लुटा, सुमन सु मन बेनाम।
प्रभु पग पर चढ़ धन्य हो, कण्ठ वरे निष्काम।।
चढ़े सुंदरी शीश पर, कहे न कर अभिमान।
हृदय भंग मत कर प्रिये!, ले-दे दिल का दान।।
नयन नयन से लड़े, झुके मिल मुस्काता।
प्रणयी पल पल लुटा, प्रणय परिमल पुष्पाता।।
*
संजीव
१८-२-२०२०
९४२५१८३२४४

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