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रविवार, 14 फ़रवरी 2021

सवैया

सवैया 
यति - ७-७-६-६ 
महिमा है हिंदी की, गरिमा है हिंदी की, हिंदी बोलिए तो, पूजा हो जाती है
जो न हिंदी बोलता, मन भी न खोलता, भूले अपनापा, दूरी हो जाती है
भारती की आरती, जनता उतारती, शारदा मातु की, कृपा हो जाती है 
रात हो या प्रभात, कीर्ति सूर्य सी मिले, श्रोता को कविता, आप ही भाती है 
१४-२-२०१७ 

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