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गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

समीक्षा राजलक्ष्मी शिवहरे

कृति सलिला:
"उत्सर्ग" कहानीपन से भरी पूरी कहानियाँ - राज कुमार तिवारी 'सुमित्र'
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[उत्सर्ग, , प्रथम संस्करण २००, आकार २१.५ से.मी. x १४ से.मी., आवरण बहुरंगी सजिल्द, जैकेट सहित, पृष्ठ १४२, मूल्य १६०/-, पाथेय प्रकाशन जबलपुर]
- कहानी यानी ... ? 'था', 'है' और 'होगा' का अर्थपूर्ण सूत्र बंधन अर्थात कथ्य। 'कथ्य' को कथा-कहानी बनाता है किस्सागो या कहानीकार। किस्सागो कलम थाम ले तो क्या कहना... .सोन सुगंध की उक्ति चरितार्थ हो जाती है।
- कहानी को जनपथ पर उतरने के सहभागी प्रेमचंद से वर्तमान युग तक अनेक कथाकार हुए। कहानी ने अनेक आन्दोलन झेले, अनेक शिविर लगे, अनेक झंडे उड़े, झंडाबरदार लड़े, फतवे जारी किये गये किंतु अंतिम निर्णायक पाठक या श्रोता ही होता है। पाठकों की अदालत ही सर्वोच्च होती है।
- सो इसी बल पर कहानी आज तक बनी और बची रही और सृजन रत रहे कहानीकार। इसी सृजन समर्पित श्रृंखला की एक कड़ी हैं डॉ. राजलक्ष्मी शिवहरे। अरसे से समाजसेवा के साथ सृजन साधना कर रही डॉ. राजलक्ष्मी के उपन्यासों धूनी और अधूरा मन को पाठकों की अपार सराहना मिली। डॉ. राजलक्ष्मी के प्रस्तुत कहानी संग्रह ' उत्सर्ग' में १६ कहानियां संग्रहीत हैं जो स्वरूप, शाश्वतता, कला और लोक्प्रोयता को प्रमाणित करती हैं।
- संग्रह की पहली कहानी 'उत्सर्ग' देश हितार्थ प्रतिभाशाली संतान को जन्म देने के वैज्ञानिक प्रयोग की कथा है। लेखिका ने वैज्ञानिक तथ्य, कल्पना और राष्ट्रीय चेतना के योग से प्रभावी कथानक बुना है। 'पछतावा' में पुत्र से बिछुड़े पिता की मनोदशा और द्वार तक आये पिता को खो देने का पछतावा मार्मिकता के साथ चित्रित है। 'झुग्गी' में बुधुआ के सात्विक प्रेम का प्रतिबिंबन है। 'त्रिकोण' सिद्ध करती है कि ईर्ष्या भाव केवल स्त्रियों में नहीं पुरुषों में भी होता है। वापसी ऐसी यात्रा कथा है जो जीवन और समाज के प्रश्नों से साक्षात् कराती है। 'दायरे' सास-बहू के मध्य सामंजस्य के सूत्र प्रस्तुत करती है। 'कुत्ते की रोटी' एक ओर कवि भूपत के स्वाभिमान और दूसरी ओर नीलिमा और करुणा के विरोधाभासी चरित्रों को उजागर करती है। 'दूसरा पति' सहनशील पत्नी राधा की व्यथा कथा है जी पति के स्वाभाव को परिवर्तित करती है। 'परिवर्तन में 'साधू इतना चाहिए जामे कुटुम समाय' का संदेश निहित है और हिअ रिश्वत का दुष्परिणाम। 'दीप जले मेरे अँगना' विदेश प्रवास और प्रसिद्धि की महत्वाकांक्षा पर देश प्रेम की विजय गाथा है। 'परतें' के माध्यम से लेखिका ने मन की परतें खोलने के साथ ही अनाथ बच्चों की समस्या और उसका हल प्रस्तुत किया है। 'रूपकीरण यादों की भाव भरी मंजूषा है। 'नसीब' कहानी से हटकर कहानी है। घोड़े को माध्यम बनाकर लेखिका ने सूझ, परिश्रम और सामाजिक व्यवहार का महत्व प्रतिपादित किया है। 'मंगल मुहिम' वैवाहिक रूढ़ियों पर एक मखमली प्रहार है। 'एक बार' कहानी दर्शाती है कि स्वयं का अतीतजीवी होना दूसरे के वर्तमान को कितना कष्टदायी बना देता है। अंतिम कहानी 'सुख की खोज' में पारिवारिक संतुलन के सूत्र संजोये गए हैं और बताया गया है कि 'रिटायरमेंट' को अभिशाप बनने से कैसे बचाया जा सकता है।
- 'उत्सर्ग' की कहानियों की भाषा सहज, स्वाभाविक और प्रवाहपूर्ण है। तद्भव और देशज शब्दों के साथ तत्सम शब्दावली तरह है। भाषा में चित्रात्मकता है। संवाद कहानियों को प्रभावी बनाते हैं। मनोविज्ञान, एहसास और सूक्ष्म निरीक्षण लेखिका की शक्ति है। कहानियाँ राष्ट्रीय भावधारा, प्रेम, करुणा, सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना से परिपूरित हैं।
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