दोहा
शुभ प्रभात अरबों लुटा, कहो रहो बेफिक्र।
चौकीदारी गजब की, सदियों होगा जिक्र।।
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पिया मेघ परदेश में, बिजली प्रिय उदास।
धरती सासू कह रही, सलिल बुझाए प्यास।।
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बहतरीन सर हो तभी, जब हो तनिक दिमाग।
भूसा भरा अगर लगा, माचिस लेकर आग।।
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
दोहा
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