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शनिवार, 20 फ़रवरी 2021

आदि शक्ति वंदना

आदि शक्ति वंदना:
संजीव वर्मा 'सलिल'
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आदि शक्ति जगदम्बिके, विनत नवाऊँ शीश.
रमा-शारदा हों सदय, करें कृपा जगदीश....
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पराप्रकृति जगदम्बे मैया, विनय करो स्वीकार.
चरण-शरण हैं, शुभाशीष दे, करो मातु उद्धार.....
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अनुपम-अद्भुत रूप, दिव्य छवि, दर्शन कर जग धन्य.
कंकर से शंकर रचतीं माँ!, तुम सा कोई न अन्य..
परापरा, अणिमा-गरिमा, तुम रिद्धि-सिद्धि शत रूप.
दिव्य-भव्य, नित नवल-विमल छवि, माया-छाया-धूप..
जन्म-जन्म से भटक रहा हूँ, माँ ! भव से दो तार.
चरण-शरण हैं, शुभाशीष दे, करो मातु उद्धार.....
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परापरा तुम, रिद्धि-सिद्धि तुम. नेह नर्मदा-नाद.
भाव, ताल,ध्वनि, स्वर, अक्षर तुम, रस, प्रतीक, संवाद..
दीप्ति, तृप्ति, संतुष्टि, सुरुचि तुम, तुम विराग-अनुराग.
उषा-लालिमा, निशा-कालिमा, प्रतिभा-कीर्ति-पराग.
प्रगट तुम्हीं से होते तुम में लीन सभी आकार.
चरण-शरण हैं, शुभाशीष दे, करो मातु उद्धार.....
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वसुधा, कपिला, सलिलाओं में जननी तव शुभ बिम्ब.
क्षमा, दया , करुणा, ममता हैं मैया का प्रतिबिम्ब..
मंत्र, श्लोक, श्रुति, वेद-ऋचाएँ, करतीं महिमा गान-
करो कृपा माँ! जैसे भी हैं, हम तेरी संतान.
करो हमें संजीव माँ, होकर सदय निहार   
चरण-शरण हैं, शुभाशीष दे, करो मातु उद्धार.....
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२०-२-२०१० 

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