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शनिवार, 20 फ़रवरी 2021

अशआर

अशआर
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 अदीब खुदा की नेमत।
मिले न जिसको उसकी शामत।।
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खुद खुदा हो सको अगर अपने।
पूरे होंगे तभी तेरे सपने।।
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चाह ही चाह से निकलती है।
आह ही अश्क बन पिघलती है।।
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साथ किसके हमेशा कौन रहा?
लब न बोले जवाब मौन रहा।।
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चंद पैसे हैं तो सवेरे हैं।
जेब खाली तो बस अँधेरे हैं।।
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दिल की बातें कहें कहो कैसे,
बेदिलों तुम्हारी महफिल में?
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आज किश्तों में बात करनी है।
टैक्स बातों पे लग न जाए कहीं।।
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तालियाँ सुनके फूलना न सलिल।
गालियाँ साथ दूनी मिलती हैं।।
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